माँ सरस्वती विद्या, बुद्धि एवं ज्ञान प्रदान करने वाली देवी हैं, इनका आशीर्वाद विद्या प्राप्ति को सरल एवं आसान बनाता है | देवी सरस्वती की कृपा जिस पर होती है वह परम सफलता को प्राप्त करता है | अनेक विद्यालयों मे विद्यार्थी सुबह की प्रार्थना में सरस्वती वंदना (Saraswati Vandna), या कुंदेन्दु तुषारहारधवला (Ya Kundendutusharhardhavla) का गायन करते हैं, उसके पश्चात विद्या अध्ययन प्रारंभ करते हैं |कोई प्रशिक्षण,गोष्ठी,सेमिनार या कवि सम्मेलन मे भी विभिन्न सरस्वती वंदनाएं गाई जाती हैं |बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन की जाती है एवं सरस्वती वंदना (Saraswati Vandna), या कुंदेन्दु तुषारहारधवला (Ya Kundendutusharhardhavla) का गायन करते हैं|यदि आप भी इस वंदना को गाना चाहते हैं तो आपके लिए यह वंदना प्रस्तुत है –
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदा
वीणा वादिनी वर दे
Veena Vadini Var De –
सरस्वती वंदना
वीणा वादिनी दे (सरस्वती वंदना)
वर दे, वीणावादिनि वर दे।
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव
भारत में भर दे।
वीणा वादिनि वर दे।
काट अंध उर के बंधन स्तर
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर
कलुष भेद तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे।
वर दे , वीणा वादिनि वर दे।
नव गति, नव लय, ताल छंद नव
नवल कंठ, नव जलद मद्र रव
नव नभ के नव विहग वृंद को,
नव पर नव स्वर दे।
वर दे , वीणा वादिनि वर दे।